बेऔलाद सगी चाची के ट्रंक में मिली, डेढ़ वर्षीय अजय की लाश ये साफ बयां करती है कि दस बरस से एक औरत औलाद के लिए किस तरह बिलबिला रही होगी और उसने ये दिल दहला देने वाला कदम भी उठा लिया। 21 जून 2007 को मासूम अजय का पहला व अंतिम जन्मदिन पूरे हर्षोल्लास से मनाया गया. महिलाएं यह कहकर मुंह में चुन्नी डाल लेती हैं कि एक औरत मासूम को मार डालेगी, हाय उसकी आत्मा भी नहीं कांपी। मृतक मासूम अजय, पेशे से किसान अमरजीत सिंह का इकलौता पुत्र था।
बलकार सिंह की पहली पत्नी उर्मिला का करीब 12 बरस पहले निधन हो गया था और वह अपने पीछे दो बच्चे भी छोड़ गई थी, सुमित्रा से करीब दस बरस पहले उसका विवाह हुआ था। सुमित्रा को हर समय बच्चे की चाह लगी रहती थी, हालांकि उसका पति अपने दोनों बच्चों को उसे अपना बच्चा मानने के लिए कहता था, लेकिन ये बात कभी उसके गले नहीं उतरी
मृतक मासूम अजय की चार वर्षीय बहन मनीषा को यकीन नहीं आ रहा है कि उसके इकलौते भाई को उसकी चाची की हवस निगल गई है। वह स्तब्ध है और बार-बार पूछ रही है कि उसका भाई कहां है। दादी जमुना देवी और दादा दल सिंह भी उम्र के इस पड़ाव में ये सब देखकर बैचेन हैं। उनके लिए दोनों ही उनके बेटे हैं। इस उम्र में बहू उनके नाम पर इतना बड़ा कलंक लगाएगी, ये उन्होंने ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा।
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Tuesday, 6 January 2009
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