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Saturday, 30 August 2008
बहन ने, बहन को वेश्यावृत्ति में धकेला
रश्मि ने बताया कि जब यह सब उसके बस से बाहर हो गया, तो उसने भागने का प्लान बनाया। बुधवार को वह दूध लाने का बहाना करके घर से भाग आई। घर से निकलते समय उसके पास कुछ कपड़े और महज 50 रुपये थे। वह लखनऊ जाना चाहती थी, लेकिन इतने बड़े शहर में वह भटक गई। तभी उसकी मदद के लिए एक ऑटो ड्राइवर राधे आगे आए। राधे ने बताया कि रश्मि ने उसे पूरी कहानी बताई। उन्होंने प्राइमरी स्कूल की टीचर सपना चौधरी से राय ली। उन्होंने महिला आयोग जाकर मामला दर्ज करवाने की सलाह दी।
इसके बाद रश्मि को महिला आयोग ले जाया गया। आयोग की मेंबर मंजू एस हेमब्रॉम की पहल पर मामला दर्ज कर लिया गया। रश्मि का मेडिकल चेकअप भी किया गया है। मंजू ने बताया कि रश्मि की शिकायत पर पुलिस मामले की जांच कर रही है। उन्होंने बताया कि लड़की को वापस लखनऊ भेज दिया जाएगा।
(समाचार, विभिन्न समाचार पत्रों से)
Saturday, 23 August 2008
जन्माष्टमी पर जुआ! महिलाएं भी पीछे नहीं
जैसा कि उर्वी शाह कहती हैं, हम किसी सहेली के घर इकट्ठा हो जाते हैं और वहां पर जुआ खेलते हैं। इससे हमारी रूटीन किटी पार्टियों में अलग ही रंग आ जाता है। हां, हम यह तय कर लेते हैं कि हमें किस हद तक दांव लगाना है। हम कोई पक्के जुआरी तो हैं नहीं। हमारा इरादा तो बस मजे करना होता है।
तीन पत्ती यहां का सबसे पॉपुलर कार्ड गेम है। वैसे यहां हर तरह का खेल खेला जाता है- कलर्स, सीक्वेंस, ऑल्टरनेट, ऑड इवेन, डर्बी, सब कुछ। बहुत सी औरतें तो होटल मे कमरा बुक करके भी इस मजे को लूटने से पीछे नहीं हटतीं।
इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से जुड़ी कृपा कहती है, मेरी 30 सहेलियां जन्माष्टमी के दिन घर पर आ जाती हैं। सभी अपने-अपने घर से कुछ न कुछ पकाकर लाती हैं। हम सब मिलकर खाते-पीते हैं और इसके बाद ताश की बाजी लगती है। मजाल है कि कोई बाजी छोड़कर उठ जाए। इसे अशुभ माना जाता है।
पोकर को पहले मर्दों का खेल माना जाता था। पर अब इसमें भी यह बंटवारा खत्म हो गया है। तीन पत्ती की तरह इसमें भी बस थोड़ा सा दिमाग लगाने की जरूरत होती है। उर्वी शाह कहती हैं, हम 10,000 रुपए से ज्यादा का जुआ नहीं खेलते। बस, मजे के लिए इतना ही काफी है।
(शब्दश: इकोनोमिक टाइम्स से साभार )
पति से झगड़े के बाद बेटे को खाड़ी में फेंका
मुम्बई के मालाड स्थित कुरार व्हिलेज में रहने वाली छाया का उसके पति के साथ अक्सर घर की बातों को लेकर झगड़ा होता रहता था। नवभारत टाइम्स के अनुसार, एक औद्योगिक इकाई में काम करने वाला पति कमलाकर कदम दोपहर के खाने के लिए घर आया और उसने पत्नी को खाना गरम करने को कहा। उसी वक्त पति पत्नी में किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ। गुस्साई पत्नी ने तीन वर्षीय बेटे यश, सात साल के घनश्याम एवं दस वर्षीय बेटी वर्षा को अपने साथ लिया और ट्रेन पकड़ कर विरार गई और फिर विरार से चर्चगेट की ओर आने लगी। उसी दौरान लोकल जैसे ही भाईंदर खाड़ी पर पहुंची उसने यश को खाड़ी में फेंक दिया और अन्य दो बच्चों के स्वयं आत्महत्या करने के लिए छलांग लगानी चाही।
अपडेट-27 अगस्त: छाया कदम ने भायखला जेल के शौचालय में फांसी लगा ली। जेल में बंद छाया ने अपनी साड़ी को फांसी का फंदा बनाया।
Saturday, 16 August 2008
महिलाओं ने पोती, महिला के मुंह पर कालिख
जागरण की ख़बर के मुताबिक उक्त गांव की विवाहिता बीना देवी पत्नी राजेश कुमार को यह सजा इसलिए मिली क्योंकि उसका गांव के ही एक अविवाहित युवक अजीत कुमार पुत्र मिलाप चंद के साथ उसका प्रेम प्रसंग बताया जा रहा है। इसी चक्कर में गांव से फरार होने व उसके बाद अजीत कुमार की लाश नगरोटा बगवां विधानसभा क्षेत्र के छू घेरा में मंगलवार रात को मिली थी। पालमपुर थाना के प्रभारी बदरी सिंह ने इस बात की पूष्टि करते हुए बताया कि पुलिस को इस मामले की सूचना मिलते ही पुलिस ने उक्त गांव में पहुंच कर स्थिति पर काबू पाया। उन्होंने बताया कि पुलिस गांव की 25 महिलाओं के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
Monday, 4 August 2008
सौतन के पेट पर लातें मार कर, जुड़वां बच्चे गिराए
बच्चों का सुख हासिल करने के लिए एक व्यक्ति ने अपनी पहली पत्नी की सहमति से दूसरी शादी रचाई। फिर दो साल तक बच्चे होने का इंतजार किया। लेकिन पहली पत्नी को सौतन की खुशी बर्दाश्त नहीं हुई और उसने बिना वजह झगड़ा कर उसके पेट में इतनी लातें मारीं, जिससे उसके पेट में पल रहे जुड़वां बच्चे गिर गए। फाजिल्का के महिंदर की यह दूसरी शादी थी। पहली पत्नी दारो बाई से बच्चा न होने के चलते उसने दारो बाई की सहमति से दूसरी शादी की। पहले तो सब ठीकठाक चलता रहा। दो साल बाद जब रानो के गर्भ में छह महीने के दो जुड़वां बच्चे पल रहे थे, तो दारो बाई से सौतन की खुशी बर्दाश्त नहीं हुई। वह कई दिनों से रानो बाई से बात-बात पर झगड़ती थी। बीते शनिवार की शाम दारो बाई ने पति महिंदर सिंह की गैरहाजिरी में रानो से झगड़ा किया और उसे जमीन पर गिराकर उसके पेट में लातें मार-मारकर उसके पेट में पल रहे दोनों बच्चे गिरा दिए।
सूचना मिलने पर माहला राम ने खून से लथपथ रानो को सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया। पुलिस को खबर की गई। पुलिस ने रानो के बयान दर्ज कर उसकी सौतन दारो बाई के खिलाफ भादंसं की धारा 316 के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
महिंदर सिंह दारो बाई की करनी से बेहद क्षुब्ध है। वह अस्पताल बैठा हुआ लगातार रो रहा है।